एसपी पी सुधाकर के अनुसार, तुषार ने एक स्थानीय नागरिक के साथ साइकल पर संदिग्ध ट्रक का पीछा किया । इसके बाद ट्रक ने उन्हें जोरदार टक्कर मारी, जिसमें तुषार गंभीर रूप से घायल हो गए । उन्हें नजदीक के एक हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया । सैनिक को टक्कर मारने के बाद ट्रक का ड्राइवर मौके से फरार हो गया । कुछ स्थानीय लोगों ने ड्राइवर के हेल्पर को पकडकर पुलिस के हवाले कर दिया । पुलिस ने ट्रक को कब्जे में ले लिया है। पुलिस अनुसार, ट्रक में ले जा रही ४ गाय भी बरामद कर ली गई हैं।
बता दे कि, भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बडी मात्रा में गो-तस्करी होती है । बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स की ओर से सीमा पर कडी चौकसी बरतने के तस्कर अब जमीन को छोड नदी के रास्ते पशुओं की तस्करी कर रहे हैं ।
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गोरक्षकोंपर टिप्पणी करते हुए ‘गोरक्षकों की हिंसा सहन नहीं की की जाएगी’, एेसा वक्तव्य किया था । साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने भी ‘गोरक्षकों पर लगाम लगाए’ एेसे कहा था । एेसे में हिन्दुआें के मन में प्रश्न आता है कि, केवल गोरक्षा कर रहे गोरक्षों पर ही कारवार्इ करने का आदेश दिया जाता है किंतु जो गोतस्कर या कसार्इ है उनके विरोध में कोर्इ कुछ क्यों नहीं बोलता ?
हाल ही में पुसद (जिला यवतमाल) में बकरी र्इद के दिन खुलेआम १०० से अधिक गोवंशों की हत्या की गर्इ थी। गोहत्या के लिए गोवंशों को लाया गया है, एेसी सूचना मिलनेपर कुछ गोरक्षक पुलिस के साथ जांच करने हेतु वहां गए । तब धर्मांधों ने उनपर आक्रमण किया। इस में कुछ गोरक्षक घायल हुए थे ।
गोरक्षकों पर हो रहे आक्रमणों की घटनाआें को देखते हुए एेसा लगता है कि, क्या गोरक्षकों को स्वयं की रक्षा करने का अधिकार नही है ? स्वयं की रक्षा करने के लिए गोरक्षकों द्वारा कोर्इ कृती की गर्इ हों, तो उसमें गलत क्या है ? किंतु यहां उनकी ही आलोचना की जाती है । मिडिया तथा सेक्युलरवादी एेसी घटनाआेंपर तुरंत बवाल मचाना शुरु करते है । क्या यह अधिकार केवल धर्मांध कसार्इयों को ही है ?
कानून भी यह कहता है कि, प्रत्येक व्यक्ती को स्वयं की रक्षा हेतु प्रतिकार करने का अधिकार है । एेसे में सरकार तथा पुलिस ने गोरक्षकों की रक्षा के लिए यदि कुछ प्रयास नहीं किया तो उनका सब्र तुट जाएगा, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?
एेसे विषय में आप क्या कर सकते है ?
१. संपूर्ण देश में गोहत्या बन्दी कानून लागू कर उसपर कठोरता से अंमल करें, एेसी मांग ज्ञापनद्वारा केन्द्र सरकार से करें।
२. गोरक्षण, गोहत्या जैसी घटनाआेंपर सोशल मिडिया के माध्यम से चर्चा एवं जागृती करें
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